लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

२३-श्रेया का होश में आना-

अस्पताल के गेट पर जैसे ही टैक्सी पहुंची। टैक्सी से उतरने के बाद श्रेया की मां के जैसे पंख ही लग गए हो। वह टैक्सी से उतर कर अस्पताल के अंदर की ओर दौड़ी। गाड़ी से उतरकर श्रेया  के पिता ने उन्हें रुकने को कहा- तो वह बोली आप टैक्सी वाले को पैसे देकर आइए। मैं चलती हूं, और दौड़ती हुई .... वह श्रेया के कमरे में पहुंची। उन्हें सब्र नहीं हो रहा था। अपनी बेटी से मिलने के लिए वह बेताब थी। तेज कदमों से चलकर श्रेया की मां श्रेया के कमरे में पहुंची और श्रेया को देखकर उनकी आंखों से अश्रु धारा बह निकली।अपनी  बेटी की उम्मीद को बैठी मां। आज अपनी बेटी से मिलकर बहुत खुश हुई, इतने में मां ने श्रेया के सिर पर हाथ रखा। तो  उसने थोड़ा सा आंखों को झपकाया। श्रेया को आंखें झपकाते देख श्रेया की मां ने हाथ जोड़कर भगवान का शुक्रिया अदा किया, और उनकी बेटी को जीवन दान देने के लिए शत शत नमन किया। श्रेया के पिता भी हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि भगवान ने उनको उनकी बेटी वापस दे दी। बहुत-बहुत शुक्रिया भगवान! शत शत नमन आपको।

अभी डॉक्टर ने कमरे में आकर सभी को बाहर जाने के लिए कहा और कहा- श्रेया अब खतरे से बाहर है, लेकिन फिर भी यहां पर  भीड़ लगाने की जरूरत नहीं है। आप लोग श्रेया से मिल चुके हैं। अब उसे आराम करने दीजिए। थोड़ा जब और हालत में सुधार होने लगेगा तब बारी-बारी से आप लोग उससे मिलते रहिएगा। डॉक्टर की बात सुनकर माता पिता और उसके ससुराली जन बाहर आ गए थे। श्रेया के पास सिर्फ श्रवन था। श्रेया के कमरे से बाहर आ कर श्रेया की सासू मां और माता-पिता सभी बहुत खुश थे। और आपस में श्रेया के बारे में बातचीत कर रहे थे। अब तो सभी का चेहरा खुशी से चमकता हुआ नजर आ रहा था। रक्षा भी अपनी भाभी को होश में आया देख खुशी से नाच रही थी और अपनी भतीजी के साथ खेल रही थी। आज उसे महसूस हो रहा था, कि भगवान की भक्ति में बहुत शक्ति है। उसने तन मन से भगवान की पूजा की थी, और वह आज सफल हुई। आज उसके  मन का विश्वास भगवान की आस्था में डूब गया था। ऐसा पहली बार हुआ था। जबकि रक्षा इन सब में कतई विश्वास नहीं करती थी, लेकिन आज उसे भगवान की शक्ति पर भरोसा हो चुका था। और भगवान को बार-बार नमन कर रही थी, भगवान का शुक्रिया अदा कर रही थी,  कि उसकी भाभी होश में आ गयी। श्रेया के होश में आने से सभी का मन श्रद्धा भक्ति में रम गया था। सभी का डगमगाया हुआ विश्वास फिर से सुदृढ़ हो गया था। सभी बार बार भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे थे।

अभी श्रेया बात करने की स्थिति में नहीं आई थी, लेकिन डॉक्टर ने कहा- कि आप बहुत जल्दी वह आप सब से बात कर सकेगी। आप सभी थोड़ा धैर्य और रखें।सभी लोग डॉक्टर की बात से सहमत थे। श्रेया का इलाज लगातार चल रहा था। श्रवन ने कमरे के बाहर आकर अपने पिताजी को फोन किया। और श्रेया के होश में आने की खबर पिता जी को दी। उसने पिताजी को बताया कि श्रेया को होश आ गया है, और अब वह जल्दी बात करने की स्थिति में होगी। पिताजी को जैसे एक नई जिंदगी मिल गई हो। श्रेया के होश में आने की वजह से वह जैसे जी उठे हो। श्रेया के होश में आने की खबर के साथ श्रवन ने पिता जी को दादा बनने की बधाई भी दी। इसको अभी सब भूल कर बैठे हुए थे। पिताजी को फोन करने के बाद श्रवन ने श्रेया के भाई भाभी को फोन किया और उनको भी यह खबर दी। श्रेया के भाई भाभी भी ये खबर पाकर बहुत खुश हुए। श्रवन  ने यह भी कहा - कि रक्तदान करने के लिए आपको बहुत-बहुत शुक्रिया।और मेरी तरफ से अपने दोस्तों को भी बहुत-बहुत आभार व्यक्त करना‌ जिन्होंने अपना रक्त देकर श्रेया की जान बचाने में हमारी भारी मदद की है।

अब रात बहुत हो चुकी थी, तो सभी लोग थोड़ा आराम करना चाहते थे। क्योंकि आज मन से सभी लोग थोड़ा खुश थे। श्रवन श्रेया के साथ कमरे में था।  और सभी लोग बाहर अपना बिस्तर लगा कर आराम करने लगे थे। सभी थोड़ी ही देर में सो गए थे।सुबह कब हो गई किसी को पता भी नहीं चला। सुबह होते ही सभी लोग बारी-बारी से श्रेया को देखने गए, कुछ ही देर में डॉक्टर राउण्ड पर आए। डॉक्टर ने श्रेया का चेकअप किया, सब कुछ ठीक होने की खबर दी। कुछ देर में श्रेया ने आंखें खोली,और वह कुछ कहना चाहती थी। लेकिन अभी जवान उसका साथ नहीं दे रही थी। श्रवन ने दौड़कर डॉक्टर को बुलाया,डॉक्टर आए और उन्होंने हाव भाव से श्रेया के मन की बात को समझा और बोलने को मना किया। डॉक्टर ने कहा कि श्रेया अपने बच्चे के बारे में पूछ रही है, कि उसका बच्चा कहां है, डॉक्टर ने श्रवन से बच्चे को श्रेया से मिलाने के लिए कहा। श्रवन दौड़ करके गया और मां की गोद से अपनी बेटी को लेकर आया। उसने श्रेया को दिखाकर कहा- कि यह हमारी बेटी है, श्रेया कुछ बोल नहीं पा रही थी। परंतु खुशी के आंसू उसकी आंखों से छलक रहे थे। और उसके चेहरे पर अत्यंत खुशी के भाव दिखाई दे रहे थे। डॉक्टर ने श्रेया को आराम करने को कहा- और श्रवन से कहा कि अब बच्चे को बाहर ही छोड़ दो, यहां पर बच्चे को ज्यादा देर रखना ठीक नहीं है।थोड़ा बोलने की हालत हो जाएगी, श्रेया बैठने लगेगी तब अपने बच्चे को गोद में लेकर खिला सकेगी। डॉक्टर की बात मानकर श्रवन ने ऐसा ही किया,  वह बच्चे को मां की गोद में फिर वापस देकर आ गया। श्रेया बहुत कुछ कहना चाहती थी। परंतु मैंने उसे अभी बोलने से मना किया था और कहा- थोड़ा धैर्य रखो। अब तुम ठीक हो चुकी हो, हमारी जिंदगी में हमारा बच्चा भी आ चुका है अब सब कुछ ठीक है, कुछ दिन में हम सब  मिलकर ढेर सारी बातें करेंगे और अपने बच्चे के साथ खेलेंगे।अब तुम आराम करो। श्रवन ने कहा..............

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9 Comments

shweta soni

17-Sep-2022 11:17 AM

बहुत सुंदर रचना

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Chirag chirag

15-Sep-2022 09:25 PM

Beautiful part

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Pallavi

15-Sep-2022 09:11 PM

Beautiful

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